ज़िन्दगी ही गुरु है

ज़िन्दगी और गुरु, दोनों ही कष्ट देकर सिखाते हैं। और कष्ट से जो हाय-हाय कर बिलबिलाने लगें, सीख उनके लिए नहीं।

ज़िन्दगी से नहीं सीखना, तो हम जीने से कतराने लगते हैं।

गुरु से नहीं सीखना, तो हम गुरु से मुँह बचाने लगते हैं।

सीखने और जीने के लिए जिगर चाहिए। ज़िन्दगी ही तो गुरु है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org