जब श्रीमद्भगवद्गीता ही पूर्ण है तो उत्तर गीता की ज़रूरत क्यों पड़ी?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। कई बार ऐसा होता है कि विरोधी पक्ष के लोग विनीत भाव से मदद वग़ैरह माँगने आ जाते हैं, जैसे दुर्योधन ने शल्य का सहयोग माँगा, दुर्योधन ने बलराम से गदा सीखने का निवेदन किया और दुर्योधन ने श्रीकृष्ण से उनकी नारायणी सेना माँगी। ऐसी स्थितियों में उचित व्यवहार क्या है? कृपया मार्गदर्शन करें।
आचार्य प्रशांत: अब दुर्योधन ने मदद माँगी तो शल्य और बलराम ने जो निर्णय लिया, या दुर्योधन को जो उत्तर दिया या जो व्यवहार किया, वह बहुत विचारणीय नहीं है। शल्य और बलराम कहॉं से अनुकरणीय पुरुष हो गए? और वो ख़ासतौर…