जब जीवन सूना और निरर्थक लगे

प्रश्नकर्ता: गुरुवर, मेरे जीवन में सदा एक डर और बेचैनी कायम रहती है। तो मैं नौकरी करता हूँ इंदौर में। मेरे माता-पिता कहते हैं कि बेतुल में आ जाओ, वो भी अच्छा जिला है। वहाँ पर भी मैं शिक्षण का कार्य कर सकता हूँ। मैं अंग्रेज़ी का शिक्षक हूँ, ट्यूशन पढ़ाता हूँ।

मैं जब अपने शहर जाता हूँ तो ये डर और बेचैनी और ज़्यादा बढ़ जाती है। ये सोचने लगता हूँ कि, वो देखेगा तो क्या बोलेगा मेरा दोस्त आगे निकल गए और मैं पीछे रह गया हूँ।…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org