जब गाय-भैंस दूध देना बंद कर देती हैं, तब कहाँ जाती हैं?

रोबिन सिंह: बहुत से जो लोग हैं उनको होता है कि भाई अभी तो हम दूध ले रहे हैं इस चक्कर में गाय की कुछ क़दर तो है। अगर दूध को आप बहिष्कार करने को कह दो तो गाय की बिलकुल ही बेकद्री हो जाएगी।

आचार्य प्रशांत: बात तो ये है न कि वो जो गाय आई है वो आई कहाँ से है?

अगर आप दूध नहीं ले रहे होते तो गाय पैदा नहीं होती। खेल तो सारा कृत्रिम गर्भाधान का है न। तो लोग कहते हैं कि, "देखिए हमने दूध लेना भी बंद कर दिया तो सारी गायें सड़कों पर आ जाएँगी फिर तो उनका और बुरा हाल होगा", और ये सब। साहब आपने अगर दूध और पशु शोषण से जो और उत्पाद आते हैं वो छोड़ दिए तो ये गायें पैदा ही नहीं होंगी।

हम क्या सोच रहे हैं?

असल में दूध पीने वाले को पता ही नहीं है कि उनका दूध आता कहाँ से है। पहली बात तो ये है‌। ना तो उनका गावों से कोई ताल्लुक है और ना तो उनका डेयरी फॉर्म से कोई ताल्लुक है और ना वो ये जानते हैं कि बड़े-बड़े उद्योग किस तरह से काम करते हैं। तो उनके दिमाग में पता नहीं कौन-सी बहुत बचकानी सी छवि है कि गाय होती है और गाय दूध देती है। बस इतना उनको पता है — एक गाय होती है वो दूध देती है।

वो आती कहाँ से है, वो हमें नहीं पता। अभी हालत ये है। मैं थोड़ी देर पहले आपसे पूछ रहा था न, उसमें जितना मुझे पता है बताता हूँ — आम गायें जो होती हैं हिंदुस्तानी, देशी वो दस लीटर के आस-पास से शुरू करती हैं दूध देना। और जो उसका मालिक होता है वो ये इंतेज़ार भी नहीं करता, कि उसका दूध जब गिरने लगे, दस लीटर से पाँच लीटर हुआ, फिर चार लीटर हुआ, फिर दो लीटर हुआ, कि वो पूरा ही दूध देना बंद कर दे तब उसे गर्भधान करे। वो दो-तीन लीटर पर आती है उसी समय उसका कृत्रिम गर्भाधान करा…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org