छोड़िए फ़िज़ूल लोगों को !

छोड़िए फ़िज़ूल लोगों को !

इतनी बड़ी भारी तुम्हारे साथ त्रासदी हो गई कि तुम आत्महत्या की सोचने लग गईं? तुम्हारा जीवन इतना फ़िज़ूल है? एक फ़िज़ूल आदमी तुम्हारी ज़िंदगी में आता है तुम्हारे साथ कुछ फ़िज़ूल की हरकतें करता है और तुम आँसुओं में डूबी हुई हो कि, “अरे! मैं डिप्रेस्ड हो गई” तुम्हें तो खुशखबरी सुनानी चाहिए कि एक व्यर्थ का आदमी आ गया था जीवन में, अब वो दफ़ा हो गया है। और बहुत छोटी कीमत पर दफ़ा हुआ है वो, इतना ही करा न उसने कि थोड़ा तुम्हारे शरीर का इस्तेमाल कर ले गया और अब इधर-उधर जाकर कुछ अफ़वाहें फैला रहा होगा, कहानियाँ ये-वो। तो ये तो ऐसे लोगों से पिंड छुड़ाने की, पीछा छुड़ाने की तुमने बहुत छोटी कीमत दी है। भला हुआ कि वो दफ़ा हुआ।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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