छोटी बातों का कारण पूछो, जो भी बड़ा है वो अकारण है

छोटी बातों का कारण पूछो, जो भी बड़ा है वो अकारण है

प्रश्नकर्ता: सर एक सत्र के लिए कई लोगों को आमंत्रित किया हुआ था पर आए कुछ ही लोग, तो ये जो लोग आएँ हैं, क्या ये उनका निर्णय था या उन्हें आना ही था?

आचार्य प्रशांत: वही चुनिन्दा क्यों आए उसका कारण मिल सकता है, बहुत आसानी से मिल जाएगा। आप उन लोगों को लीजिए और बाकीयों को लीजिए और उन्हीं से पूछ लीजिए कि अपने-अपने कारण बता दो।

कारण हम सब के पास होते हैं, वो कारण गहरे कितने हैं — ये बात अलग है। हो सकता है वो कारण छद्म कारण हों लेकिन कारण तो बता ही देंगे। जो न आने वाले हैं वो ख़ास तौर पर बता देंगे कि क्यों नहीं आए क्या कारण है। आने वाले भी कुछ-न-कुछ बता ही देंगे। साथ-ही-साथ इस बात का कारण भी पता चल जाएगा कि वो सत्र आयोजित ही क्यों हुआ। जिन्होंने आयोजित किया उनसे पूछा जाए तो वो भी कुछ-न-कुछ कारण बता ही देंगे। उसी तारीख को क्यों किया गया उसका भी कुछ-न-कुछ कारण बता ही दिया जाएगा, पर जिसको जानना है वो शायद वहाँ रुकना नहीं चाहेगा, वो कहेगा, “और बताइए।”

जो आए उन्होंने जो कारण लिखा है उसके पीछे कोई और कारण होगा। मान लीजिए किसी ने लिख दिया है कि “मैं यहाँ आया हूँ क्योंकि मैं एक आध्यात्मिक साधक हूँ।” तो अगर उससे पूछा जाता है कि, “तुम क्यों एक आध्यात्मिक साधक हो?” तो फिर उसके पीछे कोई और कारण, उसके पीछे कोई और कारण और फिर कोई और कारण। जो नहीं आया है उसने लिखा है, “मैं नहीं आ पाया क्योंकि मुझे एक विवाह में जाना था जो उसी दिन और उसी समय था”, तो फिर उससे पूछा जाएगा कि, “तुम्हें क्यों जाना था उस विवाह में? वो क्यों उस सत्र से…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org