चोट मिले तो आभार
उपचार करने से पहले अनुग्रह करो। हम यहाँ इसलिए बैठे हैं न कि मन का, जीवन का सच पता चले। क्यों सच चाहिए? क्योंकि सच ही भरोसे के काबिल होता है।
अहम् जीवन के यथार्थ के सामने चोट खता है, तिलमिलाता है। अहम् कल्पना में जीता है, वो ज़मीन पर नहीं उतर पाता है।
ज़िन्दगी जब भी दर्द दे, तुम्हारी ओर से आभार उठना चाहिए, किसी ने तुम्हारी आँखों से पर्दा उठा दिया है। ये न कह देना कि दे दी है चोट, ऐसे कहना कि दिखा दी मेरी खोट।…