चतुर व्यापारी बाँटता ही जाता है,और बाँटने हेतु पाता है

“मनु ताराजी चितु तुला तेरी सेव सराफु कमावा”

~ नितनेम (शबद हज़ारे)

वक्ता: मन तराज़ू, चित तुला है — ‘मन’ तराज़ू है, ‘चित’ तुला है, और ‘तेरी सेवा’ वो कमाई है जो सर्राफ़ा इस पर तोल-तोल कर करता है। नानक के यहाँ पर पुश्तैनी काम यही था। अब तो पढ़ ही लिया होगा आपने, महीने भर से पढ़ रहे हैं जपुजी साहब, नानक का पुश्तैनी काम क्या था?

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org