घर बैठकर रोटी और बिस्तर तोड़ने की आदत

प्रश्न: आचार्य जी, जब मैं अकेला लेटा रहता हूँ, तो मैं अपने बारे में चिंतन कर पाता हूँ, कि — “मैं ऐसे क्यों जी रहा हूँ। मैं अपने ऐसे कर्मों को छोड़ क्यों नहीं देता।” लेकिन जैसे ही परिवार के माहौल में या दोस्तों के बीच आता हूँ, तो सब भूल जाता हूँ ।
आचार्य प्रशांत: तो क्यों आ जाते हो दोस्तों में?
प्रश्नकर्ता १: बचपन से ही।