घरेलू हिंसा, बलात्कार, और वीरता भरा विरोध

अगर कुछ ग़लत हो रहा है तो उस वक्त जितनी भी आपकी सामर्थ्य है, अधिकतम वो करिए। अगर आप अधिकतम वो कर रही हैं जो आपकी सामर्थ्य है, तो उसके बाद दुःख नहीं रह जाता। आपने जब अपने आपको पूरा झोंक दिया तो फिर आपने उसको भी झोंक दिया जो बाद में पछताता, वो भी नहीं बचा। पछताओगे तो तब न जब कोई बचेगा पछताने के लिए।

बलात्कार सिर्फ यही नहीं कि किसी स्त्री का हो गया, बलात्कार तो सब का होता है। मानसिक बलात्कार तो…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org