ग्लानि और हीन भावना
प्रश्न: आचार्य जी, ग्लानि भाव को कैसे दूर करें?
आचार्य प्रशांत: “साइकिल बहुत तेज़ दौड़ाई, बहुत तेज़ दौड़ाई, पर सौ की गति नहीं पाई। अब बड़ी ग्लानि हो रही है कि ज़रूर मैंने ठीक से श्रम नहीं किया।”
या — “ज़रूर मेरी साइकिल में कुछ कमी थी, सौ की गति नहीं आई।”
मूल भूल क्या है? तुमने श्रम नहीं किया, या तुम साइकिल पर सवार हो? मूल भूल ये है कि तुमने श्रम नहीं किया, या मूल भूल ये है कि तुम…