गुलामी की लंबी ज़िन्दगी बेहतर, या आज़ादी के कुछ पल?
6 min readMay 28, 2021
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प्रेम में तो जिसकी जितनी सामर्थ्य होती है, करता है। बराबरी की बात थोड़ी चलती है उसमें। तुम छोटे बच्चे को एक मिठाई दे देते हो तो तुम उससे उम्मीद करते हो क्या कि वो भी तुम्हें पलट कर देगा? जितनी तुम्हारी सामर्थ्य, तुमने किया, जितनी हमारी सामर्थ्य, हमने किया। और अगर तुम्हें इतनी ही उम्मीद थी कि हम पैसे लौटाएँगे, तो भाई हम पर लगाते मत।