गुरु से सीखें या जीवन के अनुभवों से
5 min readSep 4, 2020
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प्रश्नकर्ता: ब्राह्मण ने दूसरों को देखकर सीख ली है परंतु मेरा मानना है कि यदि स्वयं अनुभव करें तो बेहतर सीख पाएंगे। क्या करें? संतो को देखकर जीवन में बदलाव किया जाए या अंदर से बदलाव होना बेहतर है?
आचार्य प्रशांत: अगर तुम्हारे सामने ज़िन्दगी संतो-ज्ञानियों को लाती है तो तुम ज़बरदस्ती उनकी तरफ पीठ कर लोगे? सीखते सब जीवन से ही हैं। संतों से, ज्ञानियों से, गुरुओं से भी तुम्हारा जो साक्षात्कार होता है वो…