गुरु वो जो तुम्हें घर भेज दे
4 min readJul 5, 2020
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अनुकम्पा में कोई चुनाव नहीं है। अनुग्रह, कृपा, अनुकम्पा, जो भी उसको बोलो, उसमें कोई चुनाव ही नहीं है कि तुम बोलो कि काश मुझे भी उपलब्ध हो जाए। ऐसा कुछ नहीं है। सूरज की रोशनी की तरह है। और ये बड़ा अच्छा उदाहरण है, सूरज की रोशनी। पहली बात तो, सूरज की कोई विशेष इच्छा नहीं है कि धरती को चमकाना है। सूरज का होना ही प्रकाश है। दूसरी बात, सूरज कोई चुनाव नहीं कर रहा है। जो कुछ भी ‘है’, उसे प्रकाश उपलब्ध ही है। तीसरी बात, तुम्हें कुछ कर-कर के प्रकाश…