गुरु बिनु होत नहीं उजियारी
3 min readSep 5, 2020
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चकमक पत्थर रहे एक संगा, नहीं उठे चिंगारी।
बिनु दया संयोग गुरु बिनु, होत नहीं उजियारी।।
~ कबीर साहब
आचार्य प्रशांत: आग तेरे ही भीतर होगी पर जब तक गुरु का संयोग नहीं मिलेगा, गुरु से जुड़ेगा नहीं, तब तक चिंगारी नहीं उठेगी।
दोनों बातें अपनी-अपनी जगह बिल्कुल ठीक हैं। पहली बात, गुरु बाहर से लाकर तुझे चिंगारी नहीं दे रहा है; सत्य तो तेरे ही भीतर…