गुरु और सद्गुरु में क्या अंतर है?

प्रश्न: गुरु और सद्गुरु में क्या अंतर है? यदि अंतर है, तो सद्गुरु की क्या पहचान है?

आचार्य प्रशांत जी: कोई अंतर नहीं है।

ये वैसा ही है जैसे कोई पूछे,

“सत्य और परम सत्य में क्या अंतर है?”

कि कोई पूछे,”आत्मा और परमात्मा में क्या अंतर है?”

कि कोई पूछे, “प्रेम और परम प्रेम में क्या अंतर है?”

गुरु के प्रति जब आपका कृतज्ञता का भाव, अहोभाव, बहुत बढ़ जाता है, तो अब गुरु को कभी, ‘गुरुदेव’ कह देते हो, कभी ‘सद्गुरु’ कह देते हो, और भी बहुत कुछ कह सकते हो। शब्द छोटा है, आप उसे और भी अलंकृत कर सकते हो।

मूल बात एक है, समझना।

गुरु यथार्थ रूप में सत्य ही है, आत्मा ही है। क्या आत्माओं की श्रेणियाँ होती हैं? क्या आत्माएँ दो होती हैं? जब गुरु आत्मा है, जब गुरु सत्य है, और सत्य एक है, और आत्मा एक है, तो गुरु दो हो सकते हैं क्या?

कभी कहते हो – “आत्मा और सदआत्मा”? कभी कहते हो – “सत्य और सदसत्य”? जब नहीं कहते, तो गुरु और सतगुरु कहना भी कोई ढंग की बात नहीं है।

लेकिन हाँ, क्यों कहा जाता है, ये भी समझ लो।

प्रेमवश कहा जाता है, अनुग्रहवश कहा जाता है। जिससे बहुत कुछ मिला होता है, तुम उसके नाम के साथ आदरवश सूचक, संबोधन, कुछ जोड़ना चाहते हो। कुछ आगे लगाते हो, कुछ पीछे लगाते हो। कहीं उपसर्ग लगाया, कहीं प्रत्यय लगाया। कहीं ‘जी’ लगा दिया, कहीं ‘श्री’ लगा दिया। कहीं…

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org