गिरना शुभ क्योंकि चोट बुलावा है

सर्वभूतेषु चात्मानं
सर्वभूतानि चात्मनि।
मुनेर्जानत आश्चर्यं
ममत्वमनुवर्तते॥३- ५॥
~ अष्टावक्र गीता
आचार्य प्रशांत: जब उस योगी ने जान ही लिया है कि वही समस्त भूतों में निवास करता है और समस्त भूत उसमें हैं, तब ये बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी भी उसमें ममत्व बचा रहे। जिस मुनि ने यह जान ही लिया है कि वही समस्त…