गहरी समस्या का सतही इलाज जानलेवा होगा
आध्यात्मिकता खतरनाक हो जाती है जब वह अहंकार को बचाती है।
आध्यात्मिकता तब बहुत खतरनाक हो जाती है जब बीमारी को जड़ से नहीं काटती, मूल यदि नहीं कट रहा तो वो काटना सफल नहीं होगा।
शांति, आनंद भले ही अनुकम्पा से मिलते हों लेकिन दैनिक जीवन में आप जो कर रहे हैं और उसमें जो अनुचित है उसको त्यागना शुरू करें। अनुकम्पा अपना काम खुद करेगी उसकी परवाह न करें पर आप जिन माध्यमों से अनुकम्पा को बाधित किए हुए हैं उनको तो त्यागें।
यह सूत्र याद रखिएगा कि थोड़ा बहुत ही काटा गया तो उसमें कुछ भी शुभ नहीं है।
जहाँ थोड़ा बहुत काटा जाता है वहां पत्ते फिर फूटते हैं, और ज़्यादा हरे और ताकतवर। काटना सिर्फ़ तब है जब आखिरी हद तक जाया जाए, मूल तक जाया जाए।
जहाँ कहीं भी इतना ही काटा जाएगा कि मूल बचा दिया जाए तो पलटवार होगा। माया को छेड़ा नहीं जाता या तो उससे दूरी बनाए या उसका नाश कर दें।
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