गहराई की तो बात ही दूसरी है!

मन को ऊपर-ऊपर से देखो तो अशांत होता है, और गहराई में देखो तो शांत है। मन ऊपर-ऊपर से देखो तो ‘मन’ है, और गहराई में देखो तो ‘आत्मा’ है। अब दोनों एक साथ हैं या नहीं? लहरें भी हैं और स्थिरता भी है। और सागर जितना गहरा होता है, नीचे उसमें उतनी शांति होती है। और उसी में ज़रा ऊपर आ जाओ, तो लहरें भी चल रही हैं, और ये भी हो रहा है, और वो भी हो रहा है।