गलत ज़िंदगी जीने का चलान
काश कोई ऐसी व्यवस्था हो पाए जो गलत ज़िंदगी जीने का चालान काटे।
तुम्हें पता तो चलेगा कि तुम कदम-कदम गलत उठा रहे हो।
तुम गलत लेन में गाड़ी चलाते हो तो चालान कट जाता है, मैं कहता हूँ तुम गलत दोस्तों के साथ गाड़ी में बैठे हो इसपर भी चालान कटना चाहिए।
लेकिन ऐसा कोई नियम हो नहीं सकता क्योंकि आदमी के भीतर के गोरिल्लेपन को नापने की कोई मशीन हमारे पास है नहीं। नहीं तो चालान देने में ही आपकी सारी संपत्ति खत्म हो जाती।
क्योंकि हमारा सबकुछ गलत है- हमारे दोस्त-यार गलत हैं, हमारे विचार गलत हैं, हमारी प्रेरणाएँ गलत हैं, भविष्य को लेकर हमारी योजनाएँ गलत हैं, हमने जैसे घर-परिवार बसा रखे हैं वो गलत है, इन बातों पर भी चालान कटना चाहिए।
आपत्ति करनी है तो इन बातों पर करो।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।