गया न मन का फेर
2 min readFeb 10, 2021
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प्रश्नकर्ता: सर, जो दुखी है क्या वो भी इगोइस्ट है?
आचार्य प्रशांत: पीड़ित होने में बड़े मज़े हैं।अगर तुम पीड़ित हो तो तुम्हें हक मिल जाता है एक प्रकार से जीवन जीने का। किस प्रकार से? बुझा-बुझा, दुखी! दुःख में जीना है तो मुझे याद ही रखना पड़ेगा कि समाज ने, दुनिया ने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है। तुम्हें रस मिलने लगा उसमें। तुम्हें ये रस मिलता है कि तुम्हारे मन ने एक गलत सम्बन्ध बना लिया है दुःख में और सदगुण में। पुराने ज़माने की फिल्मों…