क्रोध पर कैसे काबू पाएँ?

क्रोध की घटना यूँ ही नहीं होती उसके पीछे एक सुबकता हुआ, सुलगता हुआ जीवन होता है। एक ऐसा जीवन होता है जिसकी कामनाएँ पूरी नहीं हो पा रही हैं, चिढ़ा हुआ है, फिर वो बीच-बीच में अनुकूल मौका पाकर के फटा करता है। जहाँ पाता है कि सामने कोई ऐसा है जिसपर फ़टा जा सकता है, वो फ़ट जाता है।
जो कोई क्रोध में दिखे समझ लीजिएगा जीवन नारकीय जी रहा है, नहीं तो क्रोध कहाँ से आता?