क्रूरता रोकनी है तो संस्कृति सुधारनी होगी

केरल के मलप्पुरम में गर्भिणी हथिनी के साथ हुए पैशाचिक अनाचार को देश ‘हत्या’ का नाम दे रहा है।

तो हमारे विशाल कसाईघरों से जो रोज़ रक्त की नदियाँ फूटती हैं, उन्हें क्या नाम दें? सब माँसभक्षियों को क्या नाम दें?

जिन वेबसाइट्स पर हथिनी की हत्या को लेकर सबसे ज़्यादा आँसू बहाए जा रहे हैं, उन्हीं पर पैकेज्ड माँस बेचने वाली कंपनियों के विज्ञापन हैं।

लोगों की सोशल मीडिया पर पाँच दिन पहले चबाए गए चिकन, मटन की गर्वीली तस्वीरें हैं, और आज हथिनी के प्रति संवेदना।

हदय-परिवर्तन,
या घड़ियाली आँसू?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org