क्रिया और कर्म के बीच अंतर!

क्रिया और कर्म के बीच अंतर!

प्रश्न: ‘क्रिया’, ‘कर्म’ और ‘फल’ में क्या सम्बन्ध है?

वक्ता: तीन तल होते हैं किसी भी घटना के। एक तल है क्रिया का, एक तल है सकाम कर्म का, और एक तल है निष्काम कर्म का। क्रिया वो तल है, जहाँ पर वृत्तियाँ काम करती हैं और कर्ता को कर्ता होने का भी विचार नहीं रहता। घटना घटेगी, और बिना विचार के घट जाएगी — ये क्रिया हुई। जैसे यंत्र, जैसे मशीन, ये क्रिया है। इसमें प्रतीत ऐसा होता है जैसे कर्ता अनुपस्थित हो। कर्ता अनुपस्थित नहीं है, कर्ता मात्र परोक्ष है, छुपा हुआ है। उसे स्वयं अपना ज्ञान नहीं है क्योंकि कर्ता विचार के साथ उठता है और यहाँ पर क्रिया वृत्ति से निकल रही है, विचार से नहीं। इसीलिए घटना घट जाएगी और उस घटना का प्रत्यक्ष रूप से कोई कर्ता नहीं होगा।

जैसे मशीन दावा नहीं कर पाती है कि मैंने क्रिया की। क्रिया होती है, कर्ता दिखाई नहीं पड़ता। है ना? कर्ता कौन? जो दावा करे, “मैंने किया।” किसी भी मशीन ने जो कभी किया, वो उसका दावा नहीं करने आती — ये क्रिया हुई। ठीक है? क्रिया वृत्तियों से उठती है, और उसकी एक ही वासना होती है कि वृत्तियाँ बची रहें।

वृत्तियों में वृत्ति है: अहम् वृत्ति।हर क्रिया की इच्छा, हर क्रिया का उद्देश्य एक ही होता है कि अहम् कायम रहे।

कैसे पहचानें कि क्रियाएं चल रही हैं? बिना विचार के जब आप किसी घटना को अपने माध्यम से घटता देखें, तो समझ लें कि क्रिया चल रही है। आपने सोचा नहीं पर आपके माध्यम से वो घटना घट गयी। किसी ने आपको बोल दिया और तुरंत आप रुआंसे हो गए। विचार आया ही नहीं; आँसु पहले आ गए। ये क्रिया है। ये…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org