क्रिकेट हो या जीवन, जीतने के लिए ही मत खेलो

जीतने के लिए मत खेलो। ये बात सुनने में अजीब लगेगी क्योंकि खेल का तो उद्देश्य ही जीतना बताया गया है हमें।

तुम खेलो वो सर्वश्रेष्ठ कर सकने के लिए, जो तुम कर सकते हो।

और जो सर्वश्रेष्ठ तुम कर सकते हो, वो जीतने से ज़्यादा ऊपर की बात है।

जीत उसके सामने छोटी चीज़ है।

तुम अपना सर्वश्रेष्ठ करो, उसके बाद तुम जीते तो जीते, अगर हारे भी, तो वो हार एक तल पर जीत से बेहतर होगी।

अगर सिर्फ़ तुम जीतने का उद्देश्य लेकर चल रहे हो, तो तुम्हारे दिमाग पर सामने वाला पक्ष ही हावी रहेगा। तुम यही देखते रहोगे कि दूसरा जैसा है, उससे बेहतर हो जाओ। और दूसरे का कुछ भरोसा नहीं। हो सकता है दूसरा बहुत कमज़ोर हो। बहुत कमज़ोर है दूसरा, उससे जीतकर क्या करोगे? कभी लगे दूसरा बहुत मज़बूत है, पर हो सकता है उसकी मज़बूती बस तुम्हारी दृष्टि में है।

दूसरे से होड़ मत करो, स्वयं से होड़ करो।

और फ़िर जो उन्नति होती है, फिर जो खिलाड़ी का खेल चमकता है, उसकी बात दूसरी होती है।

फिर जीत छोटी चीज़ हो जाती है।

उसके बाद मैंने कहा कि — हार में भी जीत होती है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org