क्यों कहा जाता है, “शरीर मेरा नहीं है”?
I am not the body, nor have I the body
मैं देह नहीं हूँ, न देह मेरी है
अष्टावक्र गीता, (अध्याय-2, श्लोक-22)
प्रश्नकर्ता: पहली लाइन तो बार-बार सुनी भी है और शायद उसके कारण हमें लगता है कि “मैं देह नहीं हूँ” पर जो उसकी अगली लाइन है कि “न देह मेरी है” इस वक्तव्य को समझाने के लिए थोड़ा सा इस पर प्रकाश डालें।
आचार्य प्रशांत: अष्टावक्र कह रहे है कि, आत्मस्थ की वो स्थिति होती हैै जहाँ वो देह से सम्बन्धित अनुभव करता ही नहीं। वो मिट गया है, देह अपना काम कर रही है।