क्यों कहा जाता है, “शरीर मेरा नहीं है”?

आचार्य प्रशांत: अष्टावक्र कह रहे है कि, आत्मस्थ की वो स्थिति होती हैै जहाँ वो देह से सम्बन्धित अनुभव करता ही नहीं। वो मिट गया है, देह अपना काम कर रही है।

मैं देह नहीं हूँ, न देह मेरी है

मेरी का अर्थ होता है, मालकियत। शरीर है, किसका है, शरीर? शरीर का है, मेरा नहीं है। न देह मेरी है का अर्थ यह नहीं है कि देह का कोई अस्तित्व ही नहीं बल्कि मालिकियत को नकारा जा रहा है। देह…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org