क्यों अपमान कर रहे हो शिव और शास्त्रों का?
प्रश्नकर्ता: नमस्कार आचार्य जी, अन्यथा समाज में अगर कोई अंधविश्वास फैलता है तो वो जान तो नहीं लेता, आंतरिक रूप से मार देता है पर किसी का शरीर तो नहीं हरता। अगर कोरोना वायरस से उठ रही इस वैश्विक महामारी के समय में कोई अंधविश्वास फैल रहा है तो वो सीधे मार कर ही रुकेगा। ऐसा ही एक अंधविश्वास कल मैंने देखा जो व्हाट्सएप के द्वारा वायरल हो रहा है उसमें ये कहा जा रहा है कि सनातन धर्म में एक ग्रंथ है शिव पुराण उसमें कोरोना वायरस का तोड़ पहले से ही अंकित है। एक रिकॉर्डिंग उसके साथ चल रही है जिसमें एक पंडितजन हैं जो उन श्लोकों का गुणगान कर रहे हैं, उसे गा रहे हैं और एक पोस्ट है जिसमें लगभग छह-सात श्लोकों की श्रृंखला है। क्या ऐसा संभव है?
आचार्य प्रशांत: देखिए, ये सब कुछ इसलिए संभव हो पाता है। अंधविश्वासों का फैलना, लोगों का ऐसी मनगढ़ंत बातों पर विश्वास कर लेना, क्योंकि हम में से निन्यानवे दशमलव नौ-नौ प्रतिशत लोगों ने पुराण कभी पढ़े ही नहीं। पुराणों से हमारा दूर-दूर का कोई नाता ही नहीं रहा। मान लीजिए कि आपने शिव पुराण विशेषकर नहीं भी पढ़ा होता, आपने दूसरे भी दो-चार पुराण पढ़े होते तो भी आपको इतना आभास मिल जाता कि पुराणों में कोरोनावायरस की बातें नहीं होती। लेकिन जो आम जनता है बल्कि जो आम सनातन धर्मी है, हिंदू है, उसकी त्रासदी ये है कि उसे कोई धार्मिक शिक्षा कभी मिली ही नहीं है। आप उससे पूछो अगर कि तुमने अपने धर्म ग्रंथ के नाम पर क्या पढ़ा है, तुम धार्मिक साहित्य के तौर पर किन चीजों की बात कर सकते हो, तो वो आप को अधिक-से-अधिक दो-चार चौपाइयाँ रामचरितमानस की बता देगा, हो सकता है हनुमान…