क्या है ढ़ाई आखर प्रेम का?
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय । ।
~ कबीर साहब
‘प्रेम’ माने — चाह। ज्ञान माने — पता होना कि रास्ता कैसा है।
ज्ञान माने पता होना कि तुम्हारा वाहन कैसा है। ज्ञान माने पता होना कि तुम्हारे पास संसाधन क्या-क्या हैं, क्या तुम्हारी शक्ति है, क्या तुम्हारी सीमा है; तेल कितना है तुम्हारी गाड़ी में…