क्या स्त्री की सुंदरता और कोमलता परमात्मा जैसी है?

प्रश्न: स्त्री की सुंदरता से उसकी कोमलता का जो एहसास होता है क्या वह परमात्मा की कोमलता जैसा है?

आचार्य प्रशांत: हमें तो पता था सत्यम-शिवम्-सुंदरम, स्त्री कब से सुन्दर होने लग गई? सत्य सुन्दर होता है, स्त्री पुरुष कब से सुन्दर हुए? कोमलता माने क्या? कोमल कठोर तो पदार्थ के गुण होते हैं, तो स्त्री की देह की बात कर रहे हो कि स्त्री की देह कोमल-कोमल होती है। और क्या कोमल होता है उसका?

प्र: जो देखकर लगता है।

आचार्य: क्या देख के? आँखों से तो देह ही दिखाई देती है उसकी, वही कोमलता तुम्हें दिखती है। और आगे और लिख दिया “परमात्मा की कोमलता जैसा है। क्या वो परमात्मा की कोमलता जैसा है?” किसने तुमसे कह दिया परमात्मा कोमल है? बात यह है की स्त्री इतनी पसंद आ रही है कि लग रहा है परमात्मा भी ऐसा ही होता होगा। वह कोमल-कोमल है, तो परमात्मा भी कोमल ही कोमल होता होगा।

बढ़िया बेटा!

“स्त्री कि सुंदरता में जो कोमलता का एहसास होता है।” किस खेल में पड़े हो? ये प्रकृति कि पिंजड़े हैं, ये प्रकृति कि चूहेदानी है और तुम घुसे जा रहे हो उसमें।

परमात्मा ना कोमल है ना कठोर। हाँ हम जैसे हैं हमारे लिए कठोर तो हो सकता है, कोमल तो कभी भी नहीं। कोमल तो किसी दृष्टि से नहीं है, कठोर फिर भी संभव है की हो — बड़ी ज़ोर की ठोकर देता है, खासतौर पर अगर ऐसी बातें कर रहे हो तो।

इसपर बहुत लच्छेदार कहानियां सुनाई जा सकती हैं, लेकिन सौ कहानियों कि एक बात बताये देता हूँ — ये बहके हुए मन से आ रहा है प्रश्न।

बहुत अच्छे-अच्छे वक्ता हुए हैं। उनके सामने ये प्रश्न रखोगे तो वे तुमको बहुत बातें बता देंगे। वे तुमसे कहेंगे हाँ निश्चित रूप से परमात्मा कोमल होता है। वो तुम्हे बताएंगे कि क्यों भारत में शक्ति की आराधना होती है, वो तुम्बहें ताएँगे नवदुर्गा के बारे में। न जाने कितनी बातों को जोड़ के तुम्हें बता देंगे और तुम्हें बिलकुल हैरान कर देंगे।

तुमको लगेगा मैंने बिलकुल ठीक ही बोला है, कि स्त्री सुंदरता और कोमलता और परमात्मा में निश्चित रूप से कोई सम्बन्ध है। तुम्हें बताया जायेगा कि जो जन्म दे वही तो परमात्मा है ना? और स्त्री ही जन्म देती है। जन्म देने वाला कोमल होता है इसका मतलब परमात्मा भी कोमल होता होगा। ये सब लच्छेदार बातें हैं। जो मूल बात है वो ये है कि जवान आदमी हो और औरत देख के कोमल-कोमल गीत गा रहे हो।

मत बहको!

तुम जिसको सुंदरता बोलते हो वो वास्तव में रासायनिक प्रतिक्रिया है जो तुम्हारे भीतर होती है। पुरुष की आँखें किसी स्त्री को सुन्दर बोलें और…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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