क्या सेक्स का कोई विकल्प है जो मन शांत रख सके?

घर में बच्चे होते हैं छोटे, उन्हें कुछ-न-कुछ उपद्रव करना है। जैसे-जैसे वो डेढ़-दो साल के हो गए, उनकी ऊर्जा बढ़ने लगती है, और काम -धंधा अभी कुछ है नहीं। स्कूल में अभी भी प्रवेश मिला नहीं। तो जो दो साल वाले होते हैं, ये बड़े ख़तरनाक हो जाते हैं, क्योंकि ये चलते भी हैं, ये बोलते भी हैं। ये पालना झूलने वाले नहीं हैं, ये पालने में नहीं पड़े हैं। ये चलते हैं, ये बोलते हैं और ज़िम्मेदारी इनपर कुछ है नहीं। तो ये तोड़-फोड़…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org