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क्या सुख भाग्यवान लोगों को ही मिलता है?

भाग्य का अर्थ ये है कि जिन ताकतों का आप पर प्रभाव हो रहा है उन ताकतों के बारे में जाना ही नहीं जा सकता, वो ताकतें अज्ञात हैं, और उन ताकतों का पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता। भाग्य का अर्थ ये है कि दुनिया में जो कुछ चल रहा है वो व्यक्ति के तल पर, किसी भी विशिष्ट इकाई के तल पर बिल्कुल ही अन-अनुमानित है।

बाहरी तल पर जो घटनाएँ घट रही है, वो सब आपस में हजारों तरीके से मिली-जुली घटनाएँ हैं।

आज पूरी दुनिया कोरोना वाइरस से आक्रांत है। और हो सकता है इसकी शुरुआत बस इतनी सी बात से हुई हो कि एक व्यक्ति गया और शौचालय में जहाँ थूकना नहीं चाहिए था वहाँ थूक आया। कुछ भी जो हो रहा है, वो कहाँ तक चला जाएगा, कुछ भरोसा नहीं। और जो कुछ हो रहा है वो कभी ख़त्म नहीं होता।

अध्यात्म भाग्य से इंकार नहीं करता। अध्यात्म बस ये कहता है कि भाग्य का प्रभाव ज़रूर पड़ेगा तुम पर, पर बाहर-बाहर ही पड़ेगा। भाग्य के क्षेत्र में घट रही किसी भी घटना में ये दम नहीं है कि वो जबरन तुम्हारे ह्रदय पर छा जाए। तो अध्यात्म का मतलब ये है कि बाहर-बाहर भाग्य का खेल चलता रहे और भीतर आप भाग्य से पूरी तरह अस्पर्शित रहें।

आध्यात्मिक आदमी भाग्य के थपेड़े झेलता हुआ भी भाग्य से अस्पर्शित रहता है। कुछ है उसके भीतर, जो किसी अवस्था में नहीं है इसीलिए उसकी कोई अवस्था बदलती नहीं। आध्यात्मिक आदमी भाग्य पर नहीं सत्य पर जीता है। सत्य पर नहीं चलता भाग्य।

मज़ा इसमें है, पौरुष इसमें है कि किस्मत तुम्हें बहुत कुछ दे भी दे, तुम कहो क्या मिल गया?
और किस्मत तुम्हारा सब कुछ छीन भी ले, तुम कहो क्या छीन गया? अब भाग्य ने तुम्हारे आगे घुटने टेक दिए।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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