क्या सिखाना चाहती है कोरोना महामारी?
1 min readMay 8, 2020
प्रकृति का क्रूर दोहन,
विकास की खोखली परिभाषा,
उपभोग की अंतहीन कामना,
ये आम आदमी का जीवन है।
सब देशों-समाजों का अंधा आदर्श है।
जिस राह हम चल रहे हैं,
भीतर से तो रोज़ मर ही रहे थे,
अब बाहर भी मौत नाच रही है।
बाहर तो शायद वैक्सीन काम आ जाए, पर भीतर का रोग?
पूरा वीडियो यहाँ देखें।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।