क्या सब कुछ भाग्य के ही अधीन है?

जो कुछ बाहर से आ रहा है वो तो भाग्य के ही अधीन है, आप उस पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकते। इसका अर्थ ये नहीं है कि किसी भी चीज़ पर आपका बस नहीं है।

आदमी उन चीज़ों को नियंत्रित करना चाहता है, उस आयाम में सुरक्षा पाना चाहता है जहाँ किसी तरह की कोई सुरक्षा हो नहीं सकती। अगर आप इस झूठी कोशिश से बच जाए तो फिर आप अपनी ऊर्जा वहाँ लगाएगे जहाँ पर आप की ऊर्जा फलदाई होगी।

प्रकृति का, सयोंग का, भाग्य का, बाहरी दुनिया का स्वामी आप कभी नहीं बन सकते। लेकिन आप अपने स्वामी बन सकते हैं। गलत जगह कोशिश करना छोड़ों, सही जगह कोशिश करो। दुनिया को नहीं जीत सकते तुम लेकिन खुद को जीत सकते हो।

तुम्हारा मन एक बेलगाम घोड़ा है और वो घोड़ा दुनिया भर में घूमना चाहता है, इसलिए तुम दुनिया को जितना चाहते हो।

सुख-दुख आते रहेंगे, तुम नहीं रोक सकते, तुम उसको ज़रूर साध सकते हो जो भीतर सुख-दुख का अनुभव करता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org