क्या सत्य सबके लिए अलग-अलग होता है?
प्रश्नकर्ता: क्या मेरा सत्य और किसी और का सत्य अलग हो सकता है?
आचार्य प्रशांत: आप हैं दूसरे से अलग? मेरा सत्य माने क्या? सत्य का अर्थ ही होता है कि ‘आप’ के लिए नहीं है, ‘आप’ ही नहीं है, यह पहला सूत्र है आध्यात्मिकता का कि आपको बचा कर सत्य जैसा कुछ नहीं होता। आप के लिए सत्य कैसा होगा, सत्य कोई सिधांत है क्या? कि मेरे सिधांत दूसरे के सिधान्तों से अलग हैं। सत्य क्या है? बताइये, अलग–अलग कैसे करोगे? ज़रा…