क्या प्रेम किसी से भी हो सकता है?

प्रश्नकर्ता (प्र): आचार्य जी, क्या प्रेम किसी से भी हो सकता है?

आचार्य प्रशांत (आचार्य): एक व्यक्ति वह होता है जो किसी और से कोई संबन्ध रख ही नहीं सकता क्योंकि वह बहुत स्वकेंद्रित होता है। यह मन का सबसे निचला तल है, स्वकेंद्रित मन। वह किसी से कोई रिश्ता रख ही नहीं सकता। उसके जो भी रिश्ते होंगें वह होंगें भी मतलब परस्त। वह बहुत छुपाना भी नहीं चाहेगा कि वह सिर्फ स्वार्थ देख पाता है। उसे बस काम निकालना है। और वह सारे काम उसके अपने हैं भी नहीं। वह सारे काम उसके संस्कारों और उसके ढाँचों, उसके ढर्रों द्वारा निर्देशित हैं। जो कुछ उसे सिखा दिया गया है, जो कुछ उसके रक्त में बह रहा…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org