क्या प्रेम एक भावना है?
प्रश्नकर्ता: काम को ले कर मैं पूरा श्रम नहीं करता; पता होते हुए भी नहीं करता। जैसे नींद आती है पढ़ाई के समय। एक तरह की बेईमानी भी है। उस काम में मेरी पूरी रुचि नहीं होने का एक कारण यह भी रहा है कि वो चीज़ मूल्यहीन लगती रही है और इस वजह से बचपन से ही कष्ट पाया है, और कष्ट पाते हुए भी कोई बदलाव नहीं ला पाया। लेकिन जब से अध्यात्म में प्रवेश किया, ये मुझे नहीं छोड़ता; बाकी चीज़ों को मैंने छोड़ा है, लेकिन ये मुझे ही नहीं छोड़ता। हमने कबीर साहब की बात की, तब…