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क्या दुनिया डरावनी है?

आचार्य प्रशांत: सवाल ये है, ‘हमारी नज़र हमेशा बुरे को क्यों तलाशती है? अच्छे को नज़र क्यों नहीं तलाशती?’ तुम सोचो कि क्या कारण होते होंगे मन के कि वो हमेशा बुरे की तरफ ही देख रहा है। मैं अभी इसमें नहीं जा रहा हूँ कि अच्छा क्या है और बुरा क्या है, मैं अभी मन की धारणाओं को ले लेता हूँ कि वो जिसे अच्छा मानता है, वो जिसे बुरा मानता है। फ़िलहाल उसी को ले कर आगे बढ़ते हैं। ये बात पूरी तरह स्पष्ट है कि मन उसकी तरफ ज़रूर जाता है जो बुरा है, जो उसको डराता है, जो उसको बतायेगा कि दुनिया एक खतरनाक जगह है, जो उसको ये बताये कि दुःख है। मन हमेशा उसकी तरफ भागेगा। मन को हमेशा वहाँ पर जाना पसंद है जहाँ पर खोट है, कमी है। ये जो सामने दीवार है, अगर इस पर साफ़ पेंट किया गया है, पूरी दीवार भरी हुई है, एकदम साफ़ है, और इस पर एक इतना बड़ा (हाथ से इशारा करते हुए) हिस्सा बिना पेंट के छोड़ दिया गया है, जो धब्बे जैसा दिख रहा है। तो तुम्हारी नज़र सबसे पहले कहाँ जायेगी?

सभी श्रोता(एक स्वर में): उस धब्बे पर ।

आचार्य: मन ऐसा क्यों है कि जो कमी है, वो उसको ढूँढता रहता है? जो दुःख है, पहले उसको वो दिखाई देता है। उसके साथ सौ अच्छाईयाँ हुई हों, उसे वो दिखाई नहीं देतीं। उसके साथ एक बुरी घटना हो जाए, तो वो उसको ले कर घूमता रहता है। ऐसा क्यों है? सोचा है कभी ?

प्रश्नकर्ता: कभी ध्यान नहीं दिया।

आचार्य: जो कुछ बुरा है वो तुम्हारे अहंकार को पोषित करता है। उससे तुम्हारे ईगो को बढ़ावा मिलता है। अहंकार का अर्थ है कुछ ऐसा जो डरा हुआ है। अहंकार का अर्थ है कुछ ऐसा जो अपने आप को अलग मान…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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