क्या खोज रहे हैं हम
प्रश्नकर्ता: क्या खोज रहे हैं हम?
आचार्य प्रशांत: यह जितना कुछ हम देखते हैं, यह जो कुछ भी हम अनुभव करते हैं, सुनते हैं, इसका अनुभव हमें यूँ ही नहीं हो रहा। थोड़ा गौर करेंगें तो आपको भी दिखेगा। कुछ भी आपको व्यर्थ ही नहीं दिख रहा, अकारण ही नहीं अनुभव हो रहा। कोई भी ध्वनि, कोई भी स्पर्श, कोई भी विचार आप तक निष्प्रयोजन ही नहीं पहुँच रहा। हम अपने सब अनुभवों में कुछ खोज रहे हैं। वास्तव में यह कहना भी ठीक नहीं है कि हम अनुभावों में कुछ…