क्या कृष्ण भी पापी हुए?
निहत्य धार्तराष्ट्रान्न: का प्रीति: स्याज्जनार्दन |
पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिन: || १, ३६ ||
हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा।
—श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय १, श्लोक ३६
प्रश्नकर्ता: अर्जुन गीता के छत्तीसवें श्लोक में कह रहे हैं कि आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा, एक तरफ तो आतताई कह रहे हैं और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि पाप भी लगेगा।