क्या इंसान समाज के बिना नहीं जी सकता?
कौन-सा धर्मग्रंथ कहता है कि परमात्मा ने समाज बनाया? हमने तो यही पढ़ा था कि परमात्मा ने इंसान बनाया। और हमने तो नहीं सुना कि कोई उपनिषद बताता हो कि समाज को मोक्ष कैसे मिलता है?
दुःख भी इंसान का है और मुक्ति भी इंसान की है, ये समाज क्या चीज़ है?
तुम्हारा निर्माण है समाज, जो कुछ तुम निर्मित करते हो वो तुम्हारे लिए होता है, तुम उसके लिए नहीं होते हो।