क्या अध्यात्म के माध्यम से अपने कामों में सफलता पाई जा सकती है?
अध्यात्म इसीलिए नहीं होता कि तुम्हारे अरमान पूरे हो जाएँ।
अध्यात्म इसलिए होता है कि अहंकार सत्य के सुपुर्द हो जाए।
अहंकार के अरमानों को पूरा करने के लिए नहीं है अध्यात्म,
अहंकार के विसर्जन के लिए है।
ऊपर-ऊपर से लीपा-पोती करने के लिए नहीं है अध्यात्म।
मूल परिवर्तन करने के लिए है।
अध्यात्म गलत को सुचारू तरीके से चलाए रखने के लिए नहीं होता।
वो गलत का त्याग ही करने के लिए होता है, ताकि तुम सही में प्रवेश कर सको।
अध्यात्म इसीलिए थोड़े ही होता है कि शराब भी पियो, और नशा भी न चढ़े।
सिगरेट भी पीयो, कैंसर भी न हो।
अध्यात्म इसीलिए होता है ताकि सिगरेट- शराब छूट ही जाए।
तो अध्यात्म इसीलिए नहीं है कि गलत जीवन का सही अंजाम तुम्हें मिलता रहे।
अध्यात्म इसीलिए है ताकि तुम गलत जीवन को त्याग कर सही जीवन में प्रवेश कर सको।
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