कौन है गुरु? जो आदत से मुक्ति दिला दे।
आदत की बात है और कुछ भी नहीं है। जिसको आप कहते हैं मेरा जीवन, वो सिर्फ एक आदत है। एक लम्बी चौड़ी आदत। उसमें मिल कुछ नहीं रहा है, कोई शांति, कोई प्रेम नहीं है उसमें। बस आदत है। कुछ चीजें हैं-उनके प्रयोग की आदत है; कुछ चहरे हैं-उन्हें देखने की आदत है; कुछ विचार हैं-उन्हें सोचने की आदत है; बस आदत है। आदत में कोई सत्य तो होता नहीं। एक मनोस्थिति है। जब तक है तब तक बड़ी भारी लगती है, जब नहीं है तो कहोगे, “अरे! इसमें फँसे हुए थे…