कौन कमज़ोर कर रहा मेरे देश की युवा ताकत को

अगर ८०-९० का दशक होता तो तुम्हें पता होता न कि तुम्हारे घर के बच्चों से कौन मिलने-जुलने आ रहा है? वो जो ८०-९० दशक के फूहड़ लड़के थे आज वो सोशल मीडिया के सुपरस्टार हैं। जिनको कोई अपने घर में घुसने नहीं देता आज वो इन्स्टाग्राम पर, यूट्यूब पर सेलिब्रिटी हैं।

सारी ज़िन्दगी तुम्हारी इसी से तय हो जाती है कि तुमने किसको अपना आदर्श बना लिया।

सोशल मीडिया का कितना ज़बरदस्त सम्बन्ध है डिप्रेशन से, ये बात अब खुलने लगी हैं पिछले २-३ सालों से।

संगती का मतलब बस ये होता है कि पार्क में लड़का फुटबाल किसके साथ खेल रहा है? या सबसे बड़ी संगती ये होती है कि वो सोशल मीडिया पर फ़ॉलो किसको कर रहा है?

जब इतना आसान हो गया है ज़िन्दगी में सफल कहलाना कि कुछ नहीं करना है, आ जाओ सामने कैमरा रख लो और शुरू कर दो व्यर्थ प्रलाप, गाली गलौज़ और रातों-रात तुम स्टार हो जाओगे।

मेरी अपील है सभी अभिभावकों से कि ख़ास ख्याल रखिए कि आपका किशोर, ऑनलाइन किस तरह की संगती रख रहा है। दूसरी बात जिधर को जाना चाहिए उधर को जाने के लिए प्रेरित भी करें।

जिस देश की जवान पीढ़ी बर्बाद हो गई उस देश को अब दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है। और याद रखिएगा जो दुश्मन सीमा पार होता है वो कम खतरनाक होता है और जो दुश्मन आपके ही समाज में बैठ गया है वो ज्यादा खतरनाक होता है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org