कैसे जानें कि क्या पढ़ना चाहिए?
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जो भी ग्रंथ या गुरु तुम्हें कुछ ऐसा बताता हो जो तुम्हारी वर्तमान अवस्था को कायम रखता हो, जान लो कि वो धोखा है।
तुम्हें बचाए रखने का सबसे कारगर उपाय यह होता है कि तुम्हें झूठे बदलाव दे दिए जाएँ।
इससे तुम ऊपर-ऊपर छद्म रूप से तो बदल जाओगे, पर भीतर से वही रहोगे और छटपटाते ही रहोगे। जैसे तुम डरे हुए हो और कोई पुस्तक तुम्हें आत्मविश्वास सिखाती हो और आत्मविश्वास से तुम ऊपरी तौर पर निडर महसूस करने लगोगे पर भीतर तुम अभी भी डरे हुए हो, यह पुस्तक तुम्हारे लिए आत्मघाती होगी। ये जो तुम्हारी सेल्फ हेल्प भी होती है, ये तुम्हारे अहंकार को ही और पुष्ट कर देती है।
जो किताब या गुरु तुम्हें डराए और तोड़े, जान लेना कि वही तुम्हारे लिए सर्वोचित है। वो किताब या गुरु तुम्हें बदलने पर विवश कर देगा। जो वास्तविक तुम्हारा पथ-प्रदर्शक होगा, उससे डरोगे। सच्चे गुरु में दो शर्तें अवश्य होती हैं: वो तुम्हें डरायेगा और फिर भी तुम उससे आकर्षित होते चले जाओगे।
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आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।