कैसे जानूँ कि मैं सही हूँ

प्रश्नकर्ता: सर, आपने कहा कि बाहरी ताकतों के इशारों पर मत नाचो, अपनी समझ के अनुसार चलो। पर अगर अपनी समझ के अनुसार चलूँ तो क्या प्रमाण है इस बात का कि जो होगा वो सही ही होगा? मैं कैसे जानूँ कि अगर मैं अपनी समझ से काम कर रहा हूँ तो मैं सही हूँ? कैसे पता?

आचार्य प्रशांत: तुम्हें अभी कैसे पता है कि जो हो रहा है वो ठीक है? तुम्हें अभी सही और ग़लत का कैसे पता है? अभी तुम्हें सही और गलत का बस इतना ही पता है कि किसी और ने तुम्हें सिखा दिया है कि क्या सही है और क्या गलत और तुमने मान लिया है कि अगर ऐसा हो जाए तो सही होता है, और ऐसा हो जाए तो गलत होता है। अब ये तो बड़ी गहरी बीमारी हो गयी कि सही और गलत भी वही है जो किसी और ने बता दिया। हमारे सही और ग़लत भी हमारे नहीं हैं, आयातित हैं। और अलग-अलग लोगों के सही और ग़लत उनके अपने दृष्टिकोण हैं। तुमने ये कैसे मान लिया कि वो सही और ग़लत जो तुम्हें सिखाये गए हैं वो सही ही हैं? तुम्हें सिखाया गया कि सफ़लता सही है और असफ़लता ग़लत है। तुम्हें सिखाया गया है कि इस प्रकार की नैतिकता सही है और उस प्रकार की अनैतिकता ग़लत है। तुम्हें कैसे पता कि सही और ग़लत जैसा कुछ होता भी है? क्या तुम ये नहीं जानते हो कि जो बात एक देश में सही है वो दूसरे देश में ग़लत है? क्या तुम नहीं जानते कि एक ही जगह पर जो आज सही है वो कल ग़लत था? क्या तुम ये नहीं जानते हो कि एक धर्म में जो बात सही है वो दूसरे धर्म में ग़लत है? एक घर में जो सही है दूसरे घर में वो ग़लत है, क्या तुम ये नहीं जानते? सही और ग़लत कुछ है ही नहीं सिवाय कुछ लोगों के व्यक्तिगत दृष्टिकोण के। इसी सही और ग़लत की घुट्टी हमें पिलायी गयी है और हम सोचते…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org