केंद्र पर है जीवन शांत, सतह पर रहे तो मन आक्रांत

आजा का घर अमर है, बेटा के सिर भार।तीन लोक नाती ठगे, पंडित करो विचार।।~ संत कबीर

वक्ता: आजा से आशय है — मूल सत्य। वो मौन है, वो अनस्तित्व है, वो ही कबीर का बिंदु भी है। बेटा मतलब? जिसकी उत्पत्ति उस मूल होती हो। बेटा है अहम् वृत्ति- समस्त वृत्तियों की मूल वृत्ति। अहम् भाव वो बेटा है, और उन वृत्तियों से जो पैदा होता है वो नाती। उन वृत्तियों से पैदा होता है विचार और संसार।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org