कुसंगति की शुरुआत कहाँ से होती है?

कुसंग की शुरुआत कहाँ से होती है? भीतर से होती है!
ऐसा नहीं है बाहर से कोई आएगा और आपको खराब करके, आपको कुसंगति के दाग देकर चला जाएगा — नहीं।
बाहर वाला बाद में आता है, आपने पहले भीतर निर्णय किया होता है कि मुझे ‘आत्मा’ प्यारी नहीं है, मुझे ‘सत्य’ प्यारा नहीं है, मुझे तो कुछ और ही प्यारा है, और जब आपने यह निर्णय कर लिया होता है, तब फ़िर बाहर कोई प्रकट हो जाता है आपके निर्णय को…