कीचड़ का सानिध्य तुम्हारे रोम-रोम से महकेगा

परनारी काराचणौ, जिसकी लहसण की खानि। खूणैं बेसिर खाइय, परगट होई दिवानी।।

~ कबीर

वक्ता: कबीर ने बहुत बोला है इस बारे में। कबीर ने स्त्रियों के दो प्रकारों पर बोला है जिसको लेकर भ्रांतियाँ बहुत हैं। एक तो कबीर ने ‘सती’ पर बहुत बोला है, दूसरा कबीर ने ‘परनारी’ पर बहुत बोला है। और इसको लेकर बड़ी गलत ग़लतफ़हमियाँ रहती हैं।

जब कबीर सती की बात करते हैं, तो लोग सोचते हैं कि वो पतिव्रता की बात कर रहे हैं। ‘पतिव्रता’ पर भी कबीर ने बहुत बोला है।जब कबीर ‘पतिव्रता’ कहते हैं, तो उससे कबीर का आशय बिल्कुल भी ये नहीं है कि — जो औरत अपने इस सांसारिक पिया के प्रति पूरी तरह समर्पित है, वो ‘पतिव्रता’ कहलाती है।

कबीर के लिए ‘पति’ सिर्फ ‘एक’ है, और कोई नहीं है। दूसरे पति को तो कबीर गिनते ही नहीं। जब कबीर ‘पतिव्रता’ कहते हैं, तो वो स्त्रियों की बात नहीं कर रहे हैं। हम सबका एक ही ‘पति’ है, कौन? वो। तो जब कबीर कहते हैं, “पतिव्रता मैली भली,” तो इससे उनका मतलब ये नहीं है कि वो जो गृहणी है, वो मैली भी है, तो काम चलेगा। पर उसका अर्थ यही किया जाता है।

कबीर ये कह रहे हैं कि — जो ‘उसको’ समर्पित है, उसका शरीर कैसा भी है, फ़र्क नहीं पड़ता। शरीर पर मैल आ भी जाए, तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता, मन ‘उसको’ समर्पित होना चाहिए। ठीक उसी तरीके से, कबीर जब ‘परनारी’ कहते हैं, तो उससे उनका अर्थ, ‘सौतन’ नहीं है, कि मन में ये छवि आए कि — एक है पतिव्रता, सती, और एक है उसका पति, और पति परनारी के पीछे जा रहा है। कबीर का ज़ोर ‘पर’ पर है, ‘पर’ पर। और जब कबीर कहते हैं ‘नारी’, तो कबीर का अर्थ है — ‘प्रकृति’।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org