किस पर भरोसा करें, किस पर नहीं?
किसी पर भरोसा करने का निर्णय तुम्ही करोगे और भरोसा नहीं करने का निर्णय भी तुम ही करोगे तो अंततः तुमने भरोसा किस पर किया, अपने आप पर ही करा न? अपने आप पर इतना भरोसा क्यों करना चाहते हो, ज़रूरत क्या है? ज़रूरत क्या है बार-बार सुरक्षा की माँग करने की?
लोग कैसे भी हो सकते हैं, तुमने उनको इतनी ताकत क्यों दे दी कि उनसे तुम्हें डरना पड़े या उनसे माँग रखनी पड़े या उनको लेकर के कई तरीके के हिसाब-किताब गणित करने पड़े। कोई बहुत कमज़ोर आदमी होता है, उसको भरोसा चाहिए होता है कि कल मौसम ठीक रहेगा, ताक़तवर आदमी को क्यों भरोसा चाहिए कल के मौसम के बारे में।
तुम ऐसे हो जाओ कि दुनिया में जो कुछ भी चल रहा हो, वो तुम पर एक सीमा से अधिक आगे प्रभाव डाले ही नहीं । मुझे इस दुनिया से इतना सरोकार ही नहीं है कि इस दुनिया की ऊँच-नीच, धुप-छाव, किसी भी चीज़ से मुझे बहुत अंतर पड़ता हो। सूचना क्या कभी पूरी पड़ी है? ज्ञान क्या कभी किसी को पूरा पड़ा है? आदमी अपने को ही कितना जानता है कि जो दूसरे को पूरा जान लेगा और जो लोग दावा करते हैं कि एक दूसरे को पूरा जानते हैं क्या उन्हें सबसे ज़्यादा धोखे नहीं मिलते उन लोगों से जिनके विषय में उनका दावा है कि वो जानते हैं।
सुरक्षा ज्ञान में नहीं है, सुरक्षा ज्ञान के अति चले जाने में है। सुरक्षा का अर्थ है दुनिया अपने तरीके से चलेगी, दुनिया को हक है अपने तरीके से चलने का और हमें भी पूरा हक है दुनिया से प्रभावित न हो जाने का।
पूरा वीडियो यहाँ देखें।
आचार्य प्रशांत के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।